जीते हैं दिल में लिए अरमां लाखो,
पर हर अरमान अधूरा,
बैठे हैं आस लिए हम दिल में,
कभी तो होगा ये पूरा,
जीना है मुश्किल,जीते हैं फिर भी,
हम कल की आस लगाए,
कहते हैं लोग,ये भूल है मेरी,
कि होगा कभी खुशियों का नजारा,
हर अरमान अधूरा,कभी तो होगा ये पूरा,..
कितनी खुशियां,कैसे सपने,
सोचा सभी है मेरे अपने,
था ये सपना,गैर सभी थे,
न दिया किसी ने कोई सहारा,
हर अरमान अधूरा,कभी तो होगा ये पूरा,..
तमन्नाओं के हमने,घरोंदे सजाए,
अपनी आरजुओं के दीय़े जलाए,
बेवफाई की आंधी में बुझा हर दीया,
न दूर हुआ गम का अंधियारा,
हर अरमान अधूरा,कभी तो होगा ये पूरा,.......प्रीति
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