Monday 12 December 2011

रूठना


तुम्हारी हर अदा,हर बात 
मुझे अच्छी लगती है
पर ये न हो कि 
मैं जी ही न पाऊं
तुम्हारे गिले शिकवे और वादे
भी अच्छे लगते हं
पर ऐसा न हो कि मैं
वादे निभा ही न पाऊं
तुम्हारी खुशी वो मुस्कुराहट,
तुंम्हारे आने की वो हरएक आहट
पर तुम्हे गमगीं देखकर 
मैं रोए बिना रह न पाऊं
तु्म्हारा रूठना मुझे अच्छा लगता है
पर डर है कि कहीं तुम 
मुझसे इस कदर न रूठो 
कि मैं तुम्हे मना ही न पाऊं,......प्रीति

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