जमाने हम पर यूं कहर ढाया,
हमने क्या बिगाड़ा दुनिया का,
जो उसने हमे यूं रूलाया,..
रोकर जो हम दिल न बहलाते,
ये लोग हमें यूं ही और सताते,
हमने भी न किए शिकवे,
इस मतलबी जमाने से,..
जाने क्यूं जमाने को हमारी,
खुशियां रास नही आती,
हम जब भी हंसने लगते है,
जमाना बना देता है गमगीन,..
यही जमाने की खुशी है,
कि हम कभी खुश न हो,
हमारे जीवन में सदा ही,
अश्क व दर्द का संगम हो,....प्रीति
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