जब भी लिखने को कलम ली हाथों में
मेऱा दिल और नयन भर आए
हर बार मेरी कलम से,
मेरे ही जज़बात टकराए..
गीत लिखना चाहते थे,
मेऱा दिल और नयन भर आए
हर बार मेरी कलम से,
मेरे ही जज़बात टकराए..
गीत लिखना चाहते थे,
पर जज़बातों ने गज़ल ही लिखवाए,
न जुबां से बात कह पाए,
न कलम ही वो बात बतलाए,
अब तो हम ये सोचते हैं,
खुदा ने जहॉ मे दिल क्यों बनाए,
दिल अगर बनाए भी,
तो उसने जज़बात क्यों बनाए?
जब भी लिखने को कलम ली हाथों में,
मेऱा दिल और नयन भर आए
हर बार मेरी कलम से,
मेरे ही जज़बात टकराए..,,,,,प्रीति
न जुबां से बात कह पाए,
न कलम ही वो बात बतलाए,
अब तो हम ये सोचते हैं,
खुदा ने जहॉ मे दिल क्यों बनाए,
दिल अगर बनाए भी,
तो उसने जज़बात क्यों बनाए?
जब भी लिखने को कलम ली हाथों में,
मेऱा दिल और नयन भर आए
हर बार मेरी कलम से,
मेरे ही जज़बात टकराए..,,,,,प्रीति
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