Wednesday 30 November 2011

घरौंदे



रेत पर बनाने चले है
हम अपनी हसरतों के
घरौंदे
जिसमें हैं
तुम्हारी चाहत की भावनाएं
और हमारे मन के
परिंदे,..
क्या औकात है
हवाओं और आंधियों की
जो उड़ा ले जाए हमारे
प्यार के
वो अमिट पल जो है
चुनिंदे,...प्रीति सुराना 

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