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ये है मेरे दर्द की इन्तहां,.. कि लड़ता-झगड़ता चीखता-चिल्लाता रोता-बिलखता मेरा दर्द है अब स्तब्ध और मौन,.. पर समझेगा कौन?
प्रीति सुराना
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