ये है
मेरे दर्द की इन्तहां,..
कि
लड़ता-झगड़ता
चीखता-चिल्लाता
रोता-बिलखता
मेरा दर्द है अब
स्तब्ध और मौन,..
पर
समझेगा कौन?
प्रीति सुराना
copyrights protected
ये है
मेरे दर्द की इन्तहां,..
कि
लड़ता-झगड़ता
चीखता-चिल्लाता
रोता-बिलखता
मेरा दर्द है अब
स्तब्ध और मौन,..
पर
समझेगा कौन?
प्रीति सुराना
0 comments:
Post a Comment