हमारे व्यवहार में
बहुत कुछ ऐसा होता है
जो गलत है
पर स्वीकारना आसान नहीं,..
क्योंकि
हमें लगता है
हम ही सही हैं,
हो सकता है हम सही हैं
लेकिन ये नज़रिया हमारा है,...
आपसे जुड़े लोग,
वो लोग जो अपने हैं
वो लोग जिन्हें आपने अधिकार दिया है
वो लोग जिन्हें रिश्ते या दोस्ती ने स्वयंसिद्ध अधिकार दिए हैं,..
वो ही लोग आपसे अपेक्षाएँ रखते हैं
अपनी जरूरतों, अपनी आदतों, अपनी सोच के अनुसार,..!
माना कि आप सबको एक समय पर एक साथ खुश नहीं रख सकते
पर जीवन के लिए आवश्यक तत्वों में
जल, थल, वायु, अग्नि, आकाश की तरह ही
रिश्ते, मित्रता, भावनाएँ, आपसी समझ और आवश्यकताओं का बना रहना भी अनिवार्य है!
हम खुश नहीं हैं
या
हमसे हमारे अपने खुश नहीं है
तो समझ लीजिए
ये उपयुक्त समय है जीवन में बदलाव का
बदलाव जरूरी है
इसलिए नहीं कि इससे हम खुद खुश होंगे
बल्कि इसलिए कि हमसे जुड़े तमाम लोग खुश रहेंगे तो हम स्वतः खुश हो जाएंगे।
सृष्टि पर यह अनन्य उपकार होगा कि जरा से बदलाव से हमनें खुशी का संचार किया,..!
कोई आपसे शिकायत करे
तो समझिए हर शिकायत के पीछे प्यार छुपा मिलेगा
उसी प्यार और विश्वास के साथ जीना है
और
सुधार और स्वीकार के तालमेल का नाम ही है
'जीवन'।
डॉ प्रीति समकित सुराना



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