नवनिधिपूरक, मधुरभाषी, वात्सल्य मूर्ति खतरगच्छाचार्य श्री जिन पीयूषसागर जी म.सा. आदि ठाणा 6, प.पू. प्रियंकरा श्री जी म. सा. आदि ठाणा 3, प. पू. श्री जिन शिशु प्रज्ञा श्री जी म. सा. आदि ठाणा 3 का आगमन वारासिवनी में हुआ। और साथ ही हमारे आंगन में आचार्यश्री के चरण पड़े यह हमारा अहोभाग्य।
"जय जिनशासन, जय गुरुदेव"
(5/2/21 से 13/2/21 की स्मृतियाँ)
पुण्योदय है हमारा गुरुसा
आप हमारे आंगन पधारे
अद्भुत अनुपम है संयोग ये
हम सबजन के भाग्य सँवारे
सभी ने मिलकर किया वंदन
सोचा नमन से पुण्य कमा लें
आप विराजे पाट पे गुरुवर
भाव के जल से चरण पखारे।
सभी संतों को करते हैं नमन
सुधरे हमारा जीवन आगत
चरणों में हम वंदन करते हैं
आचार्य श्री का करते हैं स्वागत।
डॉ प्रीति समकित सुराना



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