Sunday, 3 January 2021

जबसे समझा है

जबसे समझा है 
गम बाँटने से आधे 
और खुशियां चौगुनी हो जाती है, 
मैं बहुत स्वार्थी हो गई हूँ, 
खुशियाँ किसी की भी हो, 
कोई सी भी हो 
जरूर बाँटती हूँ।

डॉ प्रीति समकित सुराना

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