आज भी जब सुनती हूँ
ये गीत
"पापा मैं छोटी से बड़ी जो गई क्यूँ"
छलछला जाती हैं मेरी आँखें,
पर
दूसरा कोई विकल्प भी तो नहीं है
बस उम्र का काम है
बढ़ती ही जाती है!
सबसे अच्छी बात ये है
कि जैसे जैसे मैं बड़ी हो रही हूँ
आपके और करीब होती जा रही हूँ
क्योंकि
अब समझती हूँ मैं भी
अपनी संतानों के साथ रहते हुए
आपकी वो सारी चिंताएँ
जो मैं जब छोटी थी तब व्यर्थ लगती थी!
आज हर छोटी-छोटी बात में
आप की वही बातें समाधान के रूप में याद आती हैं
और याद आता है आपके हर जन्मदिन पर
कि आज आप नहीं मैं भी एक साल और बड़ी हो गई
लेकिन शेष रह गया बचपन तो केवल आप और मम्मी के स्नेह की छाँव तले!
उम्र के साथ रिश्ते प्रगाढ़ होते चले गए,
पापा-बेटी हर पड़ाव में दोस्त रहते है
पर फिर भी बार-बार लगता है
"पापा मैं छोटी से बड़ी जो गई क्यूँ"
जबकि आपके जन्मदिन पर तो
आप बड़े हो गए एक साल और,...!
कितनी भी बड़ी हो जाऊँ
आपके साथ "गुड्डी" वाला बचपन फलता-फूलता रहे
बस इतनी सी ख्वाहिश है!
जन्मदिन पर अशेष शुभकामनाएँ!
बहुत सारी बधाई!
आपका इंतज़ार
सिर्फ इस बच्ची को नहीं
बल्कि बच्ची के बच्चों को भी है,...!
डॉ प्रीति समकित सुराना
Happy Birthday to you "PAPA"
From:-
डॉ. प्रीति Samkit Tanmay Jayti & Jainam Surana
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