#रात बढ़ती हुई
रात बढ़ती हुई
कर रही है इशारे
अभी चमक रहे है
कुछ जुगनू और सितारे
सिखा रहे हैं
ये अंधेरे कायम रहने वाले नहीं हैं
जल्द ही दिन होंगे लंबे
और
ज्यादा देर तक टिकेंगे उजियारे
बस जरूरी इतना ही है
कि याद रहे
स्थिर कुछ भी नहीं
आज दुख है तो कल सुख होगा
और सुख पाना है
तो दुख को सहना भी सीखना होगा
अच्छे और बुरे को समकित करना ही
जीवन का सबसे आवश्यक कर्म है
क्योंकि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं
और दोनों पहलू संतुलन से खड़े सिक्के के
पृथ्वी की तरह गोल घूमने पर ही दिख सकते हैं
जैसे एक ही दिन में दिन और रात
और उसमें एक काल की गोधूलि बेला,..!
डॉ प्रीति समकित सुराना
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