दोस्ती से पहले
तुम थे, मैं थी,
पर रुठने-मनाने का
अधिकार नहीं था,
दोस्ती के बाद
तुम हो, मैं हूँ,
पर रुठने-मनाने की
वजह नहीं है!
क्योंकि
अब
न तुम, तुम हो,
न मैं, मैं हूँ
बस हम हैं
और जब हम हैं
तो क्या गम और क्या कम है?
#डॉप्रीतिसमकितसुराना
copyrights protected
0 comments:
Post a Comment