Wednesday 12 August 2020

अर्जी

लगाई थी अर्जी, कान्हा तुम आना
मेरे आँगन में
बाँसुरी बजाना
भाग्य हुआ उदित
जन्माष्टमी आई
घर पर झाँकी 
गोकुल की बनाई,..!
यशोदा का घर
माखन का बिलौना
कान्हा और संगियों का
गैय्या थी खिलौना
पास ही खड़े थे
गोवर्धन गिरिराज
हम सब ने मनाई,..!
खुशियाँ बहुत आज
भजनों की धुन में था
मुरलीधर का वास
मनमोहन करते है
मेरे हृदय में वास
हाथ जोड़ विनती है 
बंसीधर सुन लो
जगत के हर प्राणी की,..!
पीड़ा आज हर लो
अर्ज मेरी सुनकर
तुम आए हो कान्हा
तो ये भी सुन लो
अब कहीं नहीं जाना
मोहन हृदय में बसकर
बंसी बजाना
प्रेम सिखाकर मुझे
मुक्ति दिलाना
तब तक छोड़कर मुझे
कहीं भी मत जाना,..!
लगाई थी अर्जी, कान्हा तुम आना!

#डॉप्रीतिसमकितसुराना

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