1. बहुत ज्यादा सोचकर।
2. दूसरों के बारे में सोचकर।
3. दूसरे क्या सोचेंगे ये सोचकर।
जबकि सच ये है
सिर्फ सोचने से नहीं सोचा हुआ करने से,
अपने कर्मों के बारे में सोचने से काम बनते हैं
पर दूसरे क्या सोचते हैं
हम ये भी सोचकर समय गँवाते हैं।
#डॉप्रीतिसमकितसुराना
सच है :)
ReplyDelete