अरे! ये तुम क्या कर रही हो? अभी आम कच्चे हैं, इन्हें तोड़कर क्या करोगी, न ये अचार के काम आएंगे न खाने के। रोहित ने मधु को थोड़े गुस्से, थोड़ी झुंझलाहट के साथ कहा।
मधु कुछ पल चुप रही।
फिर मधु ने कहा, सुनो रोहित, अभी रोहन इन्ही कच्चे आमोन की तरह है, उसे परिपक्व होने दो, अभी उसे जरूरत है प्यार और देखभाल की। न कि गुस्से और मारपीट की। अभी उसमें सही गलत का विवेक जितनी गुठली बनी है न वो पका हुआ फल है जो स्वाद देगा। उसे थोड़ा समय दो, तुम्हारा व्यापार बड़ा और कठिन है, ऐसा न हो कि सीखने की बजाय रोहन तुम्हारे काम से वितृष्णा से भर जाए। पढ़ाई तुमने व्यापार के लिए छुड़वा दी और व्यापार तनाव से छूट जाएगा फिर उसकी हालत इस 'कच्चे आम' जैसी हो जाएगी।
रोहित गुमसुम से कुछ सोचने लगा, शायद उसे मधु का कहा समझ आ रहा था।
डॉप्रीतिसमकितसुराना
बहुत गहरी बात कही है आपने।
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteवाह बहुत सुंदर
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