Monday, 20 April 2020

यही अंजाम होना था

बात सिर्फ इतनी सी है,
काश! तुम समझ पाते।

अधूरी बातें
अनदेखे भाव
गलतफमियाँ
टकराव
नाराजगी
दूरियाँ
हताशा
यही अंजाम होना था।

ये न होता
यदि पूछ लेते
अहम छोड़कर
तुम्हें हुआ क्या है
ठीक तो हो न
अनमनी क्यों हो
शान्त हो जाओ
अंजाम ऑंसू नहीं होते।

#डॉप्रीतिसमकितसुराना

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