बात सिर्फ इतनी सी है,
काश! तुम समझ पाते।
अधूरी बातें
अनदेखे भाव
गलतफमियाँ
टकराव
नाराजगी
दूरियाँ
हताशा
यही अंजाम होना था।
ये न होता
यदि पूछ लेते
अहम छोड़कर
तुम्हें हुआ क्या है
ठीक तो हो न
अनमनी क्यों हो
शान्त हो जाओ
अंजाम ऑंसू नहीं होते।
#डॉप्रीतिसमकितसुराना
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