#हाँ!
मेरा दिल
रहता तो मुझमें है
पर सुनता तुम्हारी है
लहू मुझसे लेता है
पर धड़कता तुम्हारे लिए है
भावनाएं मेरी उमड़ती हैं
पर रोता तुम्हारे लिए है
सांसे मैं देती हूँ
पर जीता तुम्हारे लिए है
बड़ा दिलचस्प है दिल का सफर
संभालती मैं हूँ
पर चलता तुम्हारे लिए है,
बेईमान समझता ही नहीं
उसका ये सफर हमारे लिए है।
#डॉप्रीति समकित सुराना
0 comments:
Post a Comment