Thursday 2 April 2020

तुम्हारी ज़बाँ से अगर मैं सुनूँ

#समझती हूँ सब कुछ बिन कहे
तुम्हारा प्रेम, विश्वास, समर्पण
फिर से मैं खिल उठूंगी देखना
तुम्हारी ज़बाँ से अगर मैं सुनूँ

#डॉप्रीति समकित सुराना

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