जिसे महत्व देकर बड़ा बनाया
उसने बड़प्पन छोड़कर
अवहेलना की
भावनाओं की,.!
मैंने जिक्र तक छोड़ दिया उसका
क्योंकि जिक्र करके
खुद को छोटा करने की मूर्खता
नहीं करनी मुझे,...!
चुप रहना
मेरी विवशता नहीं है
बस मेरा तरीका है
महत्वपूर्ण को खुद के लिए गौण करने का,..!
क्योंकि महत्वपूर्ण भी तो
बार-बार के जिक्र ने बनाया गौण को,..!
वो समझेगा बात मेरी
क्योंकि कोई बड़ा यूँ ही गौण नहीं हो जाता,..!
#डॉप्रीतिसमकितसुराना
सुन्दर रचना
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