Tuesday, 14 April 2020

#मनकरताहै



मन करता है
कभी-कभी
छोड़कर ये दुनिया
बसाई जाए
मन की एक बस्ती
जिसमें
सुख और दुख
प्यार और तकरार
गुस्सा और दुलार
मित्रता और शत्रुता
अलगाव और घनिष्ठता
अपने और पराए
नजदीकियाँ और दूरियाँ
स्वार्थ और मजबूरियाँ
सब कुछ हो
इसी दुनिया के जैसा
पर 
इन सारे भावों से जुड़े
किरदार हों
मन की मर्जी के
सच कभी-कभी
मन करता है
कठपुतली की तरह नहीं
बल्कि मन से जीना।

#डॉप्रीतिसमकितसुराना

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