Tuesday, 4 February 2020

अम्बर की अलगनी पर, एक ख्वाब टांगा है,

अम्बर की अलगनी पर, एक ख्वाब टांगा है,
अपने  हर  कदम पर, तुम्हारा साथ मांगा है,

बहुत बेचैन सा मन है ज़रा तुम पास आओ न,
सिरहाने बैठकर मेरा माथा सहलाओ न,
बच्चों सा मचलकर मन ने प्यार मांगा है
अम्बर की अलगनी पर, एक ख्वाब टांगा है,
अपने  हर  कदम पर, तुम्हारा साथ मांगा है,

हाथों में हाथ लेकर, मुझे कुछ तो समझाओ
डर रहा है मेरा मन, बातों में बहलाओ
कोई शक नहीं पर दिल ने इज़हार मांगा है
अम्बर की अलगनी पर, एक ख्वाब टांगा है,
अपने  हर  कदम पर, तुम्हारा साथ मांगा है,

देखकर जमाने के चलन घबराती हूँ
भीड़ में भी खुद को मैं अकेला पाती हूँ
अकेलेपन के रोग का उपचार मांगा है
अम्बर की अलगनी पर, एक ख्वाब टांगा है,
अपने  हर  कदम पर, तुम्हारा साथ मांगा है,

जानती हूँ बिन लड़े न, मैं हार मानूँगी
हूँ ज़रा जिद्दी, गढ़ सारे जीत ही लूँगी
पर तुम्हारे सुख-दुख में भी हिस्सा मांगा है
अम्बर की अलगनी पर, एक ख्वाब टांगा है,
अपने  हर  कदम पर, तुम्हारा साथ मांगा है,

प्रीति सुराना

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