फूल और कांटे
एक फूल
हैरान था
और खुश भी
कि
उसके खिलते ही
क्यों चौकन्ने हो गए
शजर के सारे कांटे,..!
हैरान इसलिए था
कि काँटों को कैसा डर?
फूल तो एक है और कांटे हज़ार,..!
खुश ये जानकर हुआ
कि चुभते-पैने कांटों को डर था
फूल की सादगी,
खूबसूरती और खुशबू से,..!
जबकि दुनिया जानती है
फूल खूबसूरत यादें देकर मुरझा जाएगा
तब भी रहेगा टूटे,नुकीले, दर्द देने वाले
कांटो का अस्तित्व सबके जेहन में,..
जब फूल दिल की गहराई में
या यादों की किसी किताब में
इत्मीनान से सो रहा होगा,..!
प्रकृति का खेल भी
कितना अजीब है
फूल सिर्फ प्रेम का प्रतीक है
टूटकर बिखरे
या किताबों में रहे
फूल का फूल होना
फूल का नसीब है,..!
प्रीति सुराना
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