Saturday, 14 December 2019

वसीयत



सुनो!
आज तबीयत तल्खियाँ दिखा रही है,
कुछ सीने का दर्द, धड़कन 
और चुभन बढ़ा रही है,..
ऐसे में एक जरुरी बात कह दूँ तुमसे,..
कल मैं रहूँ न रहूँ
इतना रखना याद
और इतना करना मेरे बाद,..!

जिनसे खुशियाँ मिली हैं
उन्हें सूद सहित दुगनी खुशियाँ लौटना मेरे बदले,
जिनसे दर्द मिले
उन्हें मेरी ओर से सादर कर्जमुक्त करना,
जानते हो ये काम तुम ही कर सकोगे
क्योंकि साक्षी तुम ही तो हो
मेरी हर खुशी हर गम के,...!

मेरी ये वसीयत है तुम्हारे नाम 
जिसमें तुम्हें कुछ भी नहीं मिलेगा 
मेरे बाद
क्योंकि जिस्म में रुह से रहे हो हमेशा साथ तुम 
और तुम्हारी रुह 
मेरे जिस्म से जुदा होकर भी तो
होगी हर जन्म में मेरे साथ,..!

क्योंकि 
प्यार के इस खेल में
दो दिलों के मेल में
तेरा पीछा न मैं छोडूंगी 
सोनिये
भेज दे चाहे,....!

प्रीति सुराना

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