सनद रहे
तमाम गवाहों और सबूतों को
मद्देनज़र रखते हुए
होते हैं फैसले
पर ध्यान रहे
दोनों ही पक्ष
जिंदगी का हिस्सा होते हैं
सिक्के के दो पहलुओं की तरह!
किसी ने कहा था कानून अँधा होता है
उसे चाहिए सबूत!
तो सनद रहे
मेरे लिए सुनाया गया
हर फैसला
उन तमाम सबूतों और गवाहों की
पुख़्ता जाँच के ऊपर निर्भर होगा
जो रचे गए या बनाए गए
या फिर
अफवाहों के रूप में फैलाए गए।
सबसे बड़ी अदालत
आखरी फैसला
कभी काली पट्टी बंधी आँखों से नहीं करती
उसे होता है अंतिम अधिकार
विवेक के उपयोग का,..!
नीर-क्षीर का विवेक सबके पास नहीं होता
ऊपर वाले की अदालत में देर है अंधेर नहीं!
प्रीति सुराना
0 comments:
Post a Comment