Thursday 23 May 2019

मौलिक

मैं जैसी हूँ वैसा ही जानो मुझे,
मेरे मौलिक रुप में ही पहचानो मुझे,
इंसान हूँ बुराईयाँ-अच्छाई दोनों है मुझमें,
सब जान लो फिर चाहो तो अपना मानो मुझे,...!

प्रीति सुराना

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