नियति ने छला अब मैं छलूँ
खोकर खुद को अब मैं चलूँ
सवेरा बनकर उग तो न सकी
साँझ की तरह अब मैं ढलूँ
प्रीति सुराना
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नियति ने छला अब मैं छलूँ
खोकर खुद को अब मैं चलूँ
सवेरा बनकर उग तो न सकी
साँझ की तरह अब मैं ढलूँ
प्रीति सुराना
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सुन्दर
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