Saturday 29 December 2018

बेहिसाब बारिश

पहले आए कई तूफान,
शीत लहर भी कम नहीं चली,
और अचानक कभी
बहुत तेज धूप
मानो सूरज आग बरसाने को हो तत्पर,
तेज हवाएँ, ओले, बारिश
कभी भी, कहीं भी,.
सच कहूँ डर लगता है
मौसम के इन बदलते तेवरों से
देखो न!!
आज भी खुला था मौसम
चार दिन की बदली
दो दिन की आँधियों
और फिर अचानक निकली तेज धूप के बाद
आज बेहिसाब बारिश,...
क्यूँ होता है ऐसा
हो जाती है बेमौसम बरसातें
और
बेसबब बातें,...
हाँ!
आस्था की तरह अटूट विश्वास के बाद भी
कि जो भी होगा सब अच्छा ही होगा
कहीं भीतर कुछ पल को दहल जाता है मन
सुनो!
डर तुम्हे खोने का नहीं
डर इस बात का की बदलते मौसम
हाल और हालात न बदल दें,..
न खुद को बदलकर,
न तुम्हे बदलने देकर
नहीं चाहिए कुछ भी
सब कुछ जैसा है
वैसा ही मुझे चाहिए
चाहे मौसम कोई भी हो,..
तुम पर मेरा यूँ हक़ जताना,..
ये भी तो प्यार ही है न!

प्रीति सुराना

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