Tuesday 18 September 2018

पक्की सहेली


उदासी ने
यूँ घेर रखा है मुझे
मानो बना रखा हो
*सुरक्षा कवच*
वो वाकिफ़ है
जमाने के दस्तूर से
खुशियाँ पास आई
तो जमाना जीने नहीं देगा
गनीमत है
चेहरे पर
खामोशी के साथ
मुसकान रखूँ
ये मर्ज़ी खुद मेरी है,...
हाँ!
खामोशी
और
उदासी
दोनों मेरी पक्की सहेली है,... प्रीति सुराना

2 comments:

  1. खुश को खुश देखना ही नही चाहता कोई.
    कितनी सार्थक बात कही आपने.
    आत्मसात 

    ReplyDelete