Wednesday 22 August 2018

खुद में खुद का होना

सूना सूना मन का कोना
ढूंढे खुद में खुद का होना

क्या पाया ये याद नहीं पर
याद है वो सब, पड़ा जो खोना

एक नसीहत दी है मन को
डगर न काँटो वाली बोना

बोयेगा जो वही फलेगा
कोशिश कर अब पड़े न रोना

कर सद्कर्म प्रीत सदा ही
सुख के बिछौने में फिर सोना,...

प्रीति सुराना

2 comments:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 23.8.2018 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3072 में दिया जाएगा

    धन्यवाद

    ReplyDelete