Friday 13 July 2018

जी रही हूँ,..

दर्द को पल-पल आँसुओं में पी रही हूँ
आह दबाकर होठों को सी रही हूँ
एक झलक, एक पल, एक आलिंगन मेरे हर दर्द की दवा
तुमसे बेपनाह प्यार है इसलिए जी रही हूँ,.... प्रीति सुराना

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