Tuesday 19 June 2018

कैसी रैन है??

लौट आओ तुम कि रूह तक बेचैन हैं
टकटकी लगाए मेरे बहते हुए ये नैन हैं
दर्द है कि टीसने से एक पल रुकता नहीं
सिसकता हुआ ये दिन लाया कैसी रैन है??

प्रीति सुराना

0 comments:

Post a Comment