सुनो!
देख रहीं हूँ
आते हुए
उस सुनहरे पल को,..
जिसे तुमने
मेरे ख्वाबों से चुराकर
सच के रूप में
साकार करके भेजा है,...
मेरी आँखों के रास्ते दिल तक
दिल से जिंदगी तक
और
जिंदगी से रूह तक,..
खुशी
जो कभी ठहरी नहीं
आज खुद चलकर
आ रही है मेरे पास,..
और
जानते हो
वजह सिर्फ तुम हो,
वो भी बेवजह,...
निःस्वार्थ, निष्कपट, निश्छल,
वो भी आज के दौर में,..
एक हकीकत मगर
ख्वाब की मानिंद,..
प्रीति सुराना
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