Friday, 1 December 2017

कश्मीर की वादियां

कश्मीर की वादियां

कश्मीर के जर्रे जर्रे में बसा है प्रेम,
उस प्रेम को दहशत में बदल दिया है
सियासती चालों
और अनावश्यक पहरेदारियों ने,..

चश्मेशाही गवाह है
यहां पत्थरों से भी रिसता है प्रेम का अमृत
जो बुझा सकता है *प्यास*
हर मायूस रूह की,..

तभी तो है कश्मीर की मेहमान नवाज़ी में
जाफ़रानी कहवा,
जो बिखेरता है खुशबू
सिर्फ और सिर्फ मुहब्बत की,..

चिनार और देवदार से एक आच्छादित जमीन,
और पहाड़ों की चोटियों पर झुकता हुआ आसमान,
कौन कहता है कि इन वादियों में घुला है ज़हर आतंक का?
सच सिर्फ इतना है कि प्रेम में पगे है यहाँ के इंसान,..

नज़र उतारनी होगी धरा के स्वर्ग की
और मिटाना होगा आतंक का खौफ़
फिर से खिल उठे देवदार, चिनार और जाफ़रान
तभी गर्व से सिर उठाकर जी सकेगा हिंदुस्तान।

प्रीति सुराना

0 comments:

Post a Comment