मुश्किल जब-जब भी आती है,
बातें कितनी सिखलाती है।
कौन भला या फिर है भोला,
या किसने पहना है चोला,
कौन पराया या है अपना ,
पहचान वही करवाती है।
मुश्किल जब-जब भी आती है,
बातें कितनी सिखलाती है।
सच-झूठ उजागर कर देती,
तब राज कई खुल जाते हैं,
कितनी क्षमता है किस किस में,
समय समय पर दिखलाती है।
मुश्किल जब-जब भी आती है,
बातें कितनी सिखलाती है।
ठोकर खाकर कौन गिरेगा,
कौन उठेगा साहस करके,
कौन कहाँ कितने पानी में,
हद कद सब कुछ समझाती है।
मुश्किल जब-जब भी आती है,
बातें कितनी सिखलाती है,..।
प्रीति सुराना
23/12/2017
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