सुहानी आज भ्रष्टाचार विरोधी संस्था के अध्यक्ष मुरारी जी रिश्वत लेते हुए रेंज हाथों पकड़े गए, शहर में हंगामा है, कर्फ्यू भी लग सकता है आज राहुल को स्कूल मत भेजो, और में भी छुट्टी ले रहा।
राहुल की तो चांदी हो गई है पर सवालों की झड़ी ने सुहानी की क्लास लगा दी।
"मम्मी ये भ्रष्टाचार क्या होता है?"
सुहानी टालने वलए अंदाज़ में बोली "गलत काम"
"रिश्वत मतलब??"
"गलत काम करवाने के लिए किसी को पैसे या गिफ्ट देना"
और कर्फ्यू??
"और ये कर्फ्यू क्या होता है?"
सडकपर आना जाना बंद क्योंकि आज इसके विरोध में बहुत तोड़फोड़ और हंगामा होगा।
"ओह अब समझा।"
ये कहकर वो बगल में चाचा के घर खेलने चला गया।
दो दिन बाद रविवार सुबह-सुबह राहुल कुछ सहमा सा भागता हुआ आया और चुपचाप अपने कमरे में जाकर सो गया।
सुहानी-शेखर को अजीब लगा, दोनों कमरे में पहुँचे , उसे छूकर देखा बुखार तो नही था।
शेखर ने पास बैठकर पूछा क्या हुआ?? पहले तो राहुल झिझका फिर कहा आज चाचा के घर मत जाना कर्फ्यू लगा है??
"क्या हुआ बताओ तो?" सुहानी घबराकर बोली।
चाचा दादी के पोटली छीन रहे थे, दादी रो रही थी कि दादाजी की की एक निशानी ये अंगूठी में नही दूंगी। चाचा गुस्से में चिल्ला रहे थे और समान तोड़ रहे थे कह रहे थे बुढ़िया को बच्चे की देखभाल के लिए साथ रखा आज ही वृद्धाश्रम भेज दूंगा।
मैंने ये भ्रष्टाचार देख लिया तो चाची ने चॉकलेट दी और कहा किसी से मत कहना।
"मैंने वो रिश्वत नही ली माँ-पापा। मुझे जेल नही जाना।"
राहुल जोर से सुहानी से लिपट गया।
भ्रष्टाचार की जड़ें घरों से समाज मे फैली ये बात मान में पुख्ता हो गई।
प्रीति सुराना
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