आवेश में या दर्द में जो कह दिया अपनों से कुछ
मांग ली माफ़ी हमेशा खुद को हेय समझा नहीं
जो मेरे अपने हैं वो तो मुझे मुझसे बेहतर समझते हैं
पर जो महज भ्रम था अपनेपन का वो टूटता चला गया
प्रीति सुराना
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आवेश में या दर्द में जो कह दिया अपनों से कुछ
मांग ली माफ़ी हमेशा खुद को हेय समझा नहीं
जो मेरे अपने हैं वो तो मुझे मुझसे बेहतर समझते हैं
पर जो महज भ्रम था अपनेपन का वो टूटता चला गया
प्रीति सुराना
बहुत खूब
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