Friday, 15 September 2017

"साथी"

आज का विषय
"साथी"

सुनो!!
साथी हैं हम
इस मुश्किल दौर में
और जारी है
वेदनाओं का सिलसिला
जाने कल
मौका मिला न मिला
न मिला
तो जो समझ लिया
वही सच मान लेना,...

पर
कल रहे तो कहेंगे
कहें तो सुनना
सुनो तो समझना
समझो तो सोचना
फर्क सिर्फ सोच का था
मैं और तुम में फर्क
वजूद की लड़ाई
सवाल ये झुकेगा कौन??
जवाब दोनों के बीच पसरा मौन,
सबकी वजह सिर्फ दृष्टिकोण
बाकि हर बात गौण,..

पर न रहूं
तो गर्व से देखना
सर उठाकर
ऊपर आकाश का
वो सबसे चमकता सितारा
नतमस्तक मुस्कुराता हुआ
छोड़कर अपना दृष्टिकोण
और
अपने भीतर का मैं भी
जो टूटना चाहता है
सिर्फ इसलिये
ताकि तुम ख्वाहिश में
मांग लो वो सबकुछ
जो तुम्हे चाहिए,...

प्रीति सुराना

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