सुनो!
मैंने हर रिश्ते को
दो पहियों पर चलते देखा है,
एक पहिया साथ न चले तो रिश्ता
या रुकता है या खिंचता है,
रुका
तो जिंदगी भर खोने का दर्द
खिंचा
तो पल-पल ढोने का दर्द
और दोनों में समानता ये
दोनों ही पहियों को रुलाता है ये दर्द
बस कोई आंखों से बहा देता है
कोई सीने में दफन कर लेता है
पर ऐसे हर रिश्ते का
हासिल तय है
ये दर्द
तो समझो न !!!
कुछ तुम कुछ मैं मिलकर
बिना रोये बिना ढोए,
मिटाकर दर्द
चलें मंजिल की ओर,...साथ साथ
प्रीति सुराना
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