जिस तरह
जन्म एक बार लिया
और
जीवन हर रोज जीया
मृत्युपर्यंत
हँसकर-रोकर
पाकर-खोकर,
पर जन्मदिन
सिर्फ एक दिन मनाकर
जीवन जीना तो नही छोड़ा,..
फिर क्यों विरोध
किसी खुशी के दिन
या पल के आयोजन का
कैसे कह दें
कि सिर्फ
आज मित्रता का,
आज महिला का,
आज पिता का
आज माँ का,
आज हिंदी का,
आज आज़ादी का,
आज संविधान का दिन कल सब शून्य????
जीते हैं हर पल
हर रिश्ता
हर भाव
हर खुशी
हर दुख
पर मनाकर एक विशेष दिन
अपनी भावनाओं की खुशी
देते हैं सम्मान
अपने रिश्तों और भावनाओं को,..
आज करती हूं सम्मान
अपने हर उस रिश्ते का
जिसमें
दोस्ती का भाव
अंशमात्र भी समाहित हो,..
करती हूं
खुश होने के हर मौके का
*स्वागत और सम्मान*
मित्रता दिवस की बधाई सभी मित्रों को,...
प्रीति सुराना
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