Monday, 31 July 2017

चोटें

रोशनी आंखों को चुभने लगी है
सांसें भी मेरी अब घुटने लगी है
छुपाकर रखी जो सबसे हमेशा
वो चोटें अब बहुत दुखने लगी है

प्रीति सुराना

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