Tuesday, 15 November 2016

जय भारत माँ

खून रगों में डोल रहा है
जय भारत माँ बोल रहा है

किसके भीतर कितना घपला
राज नए नित खोल रहा है

घूस नहीं खाते कहते थे
होश उन्ही का गोल रहा है

भारत को मैला कर डाला
कौन जहर ये  घोल रहा है

जो दिखता था ठोस सतह से
भीतर उसमें पोल रहा है

अब कोई नायक बन बैठा
पापों को देखो तोल रहा है
 
देखा है मैंने ये सब खुद
सच बिलकुल बेमोल रहा है,...प्रीति सुराना

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