सुर घनाक्षरी8886
बारिश हुई प्रेम की
मन की मरुधरा में
सौंधी सी महक उठी
प्रीत तेरी पाई
तूने मुझको छू लिया
मन ने ली अंगड़ाई
सपने मेरे जी उठे
खुशी मन छाई
मन की वीणा बजी
सात सुरों से थी सजी
प्रीत की महफ़िल में
प्रेम धुन गाई
मेरा एक निवेदन
प्रीत कभी न हो कम
छूटे न अब साथ ये
मिटी तनहाई
प्रीति सुराना
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