किसे बोलती हाल जी का यहां मैं
रही गैर ही तो सभी से यहां मैं
अकेले अकेले सही पीर सारी
यहां कौन है जो सुनेगा हमारी,..
जरूरी नही है मुलाकात होगी
मिले भी कहीं तो कभी बात होगी
मुझे साथ दे दो सहारा नही दो
जरा साथ डूबो किनारा नहीं दो,...
जमाना बताना चाहता नहीं है
रुकेगा कहां या चलेगा कहां से
जरा देख लो आज हैं वो कहां पे
जहां लोग होते खुदी के न खुदा के,..
प्रीति सुराना
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