Wednesday 2 March 2016

यादें बहलाती है (छंद- माहिया)

जब यादें आती हैं,..
बरसों पहले की
बातें तड़पाती हैं'..

हर याद सताती है
रोज रुला मुझको
हर रोज़ हंसाती है,...

खुशियां तो लाती हैं
पर नम करअंखियां
यादें तरसाती है,..

यादें वो साथी हैं
तनहा हो जब हम
ये सुखदुख लाती हैं,..

यादें बहलाती हैं
बिन तेरे मुझको
जीना सिखलाती हैं ,.. प्रीति सुराना

1 comment:

  1. बेहतरीन अभिव्यक्ति.....बहुत बहुत बधाई.....

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