Sunday 28 February 2016

हंस लेती हूं

हंस लेती हूं
पल ढूंढकर मशरूफ जिंदगी में
क्योंकि जानती हूं
मेरी हंसी से
मेरे अपनों को
हंसने का सबब मिलता है
वरना
आज की जीवनशैली
कहां देती है मौके सुकून के,..
भागमभाग के ज़माने में
ठहर जाती कुछपल
मुस्कुराते हुए
उन अपनों के लिए जो पीछे छूट जाते हैं
और
उनके लिए भी
जो मुझसे आगे निकल कर
खुश होना चाहते हैं अपनी जिंदगी में,..
जानते हैं क्यूं
क्यूंकि चाहती हूं
मेरी दुनिया में सब सिर्फ खुश हों,...प्रीति सुराना

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