सुनो!!
जब
दर्द मेरे मुझे ही सहने हैं
फिर क्यूं तुम्हे बताऊं?
बताने से मेरा दर्द तो कम होता नहीं,.
तुम्हारा तनाव जरूर बढ़ जाता है।
याद है मुझे
तुमने कहा था मुझसे
मुझमें तुम्हे हर खुशी मिलती है,.
फिर अपने दर्द सुनाकर
तुम्हें रुलाना मुझे ग्लानि से भर देता है,..
खैर अब नहीं होगा ऐसा,..
इंतजार करूंगी
खुशी का कोई लम्हा आए
जो कर सकूँ साझा तुमसे,..
तब तक के लिए विदा,..
उम्मीद है
तुम करोगे उस पल का इंतजार
जब मैं कर सकूँ साझा कोई ख़ुशी तुमसे।
करोगे ना इंतजार मेरा,..
बोलो ना!!!! ,..प्रीति सुराना
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार, कल 10 फ़रवरी 2016 को में शामिल किया गया है।
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमत्रित है ......धन्यवाद !
Thanks
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