कृष्ण और सुदामा सी
दोस्ती की मिसाल देने वालों,..
काश!!
कभी सोचा होता,..
कि आज भी
मुमकिन है वैसी दोस्ती
अगर
एक
अपने जेबों में भरे नोटों की महक,..
और
दूसरा
अपने खाली जेबों में बचे चंद सिक्कों की खनक,
छुपा सके,...
और
दोनों
एक दूसरे की
इस कमज़ोरी को
नज़रअंदाज़ कर सके,...प्रीति सुराना
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