वक़्त के दिए ज़ख्म खुद वक़्त ही भरेगा,..
वो जीत नहीं सकता जो ज़ख्मों से डरेगा,..
हवाओं का तो काम ही है जख्मों को दुखाना,..
पर नमक डालते रहोगे तो ज़ख्म कैसे भरेगा ???... प्रीति सुराना
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वक़्त के दिए ज़ख्म खुद वक़्त ही भरेगा,..
वो जीत नहीं सकता जो ज़ख्मों से डरेगा,..
हवाओं का तो काम ही है जख्मों को दुखाना,..
पर नमक डालते रहोगे तो ज़ख्म कैसे भरेगा ???... प्रीति सुराना
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