Tuesday, 14 July 2015

कैसे संवारुं

इतना हक़ जताते हो मुझ पर कि खफा भी हो जाते हो,..
इतना प्यार लुटाते हो मुझपर की फिदा भी हो जाते हो,..
समझ नहीं पाई मैं अब तक इस रिश्ते को कैसे संवारु,..
मिलकर ठीक से मिल भी नहीं पाती कि तुम जुदा भी हो जाते हो,...प्रीति सुराना

1 comment: